हृदेश सिंह |
भारतीय लोकतंत्र के करिश्माई नेताओं की अगर फ़ेहरिस्त बनाई जाए तो माधव राव सिंधिया उसमे से एक होंगे. आज जब हिंदुस्तान उम्मीद से है और आसमान छूने को है....ऐसे में माधव राव सिंधिया जैसे राजनेताओं की देश को बेहद जरुरत है.माधव राव सिंधिया देश के लिए बहुत कुछ करना चाहते थे.वे जन्मजात राजा थे. रियाया से लेकर आवाम तक का दर्द वे महसूस करते थे. सिधिया घराने की वे बेहद प्रतिभाशाली कुंवर थे.यही वजह है की 30 सितबर 2001 में उनकी प्लेन हादसे मे मौत हुई तो पूरा देश रो पड़ा.....
माधव राव सिंधिया की मौत एक विमान हादसे में हुयी थी.उस वक्त में बीए में था और दैनिक जागरण, मैनपुरी में एक ट्रेनी रिपोर्टर था. अच्छे से याद है उस दिन बेहद तेज़ बारिश हो रही थी...में घर पर था. 2 बजे का समय रहा होगा. मेरे बॉस अनिल मिश्रा ने मुझे फ़ोन पर जानकारी दी कि कस्बा ''बेवर'' के पास एक हवाई जहाज़ क्रेश हुआ है. उन्होंने मुझे वहाँ जाने को कहा.मेने हाँ कर दी....और जाने की तैयारी शुरू कर दी. उस वक्त विमान के तकनीकी पक्ष की मुझे कोई खास जानकारी नही थी. मैं कैसे रिपोर्टिंग कर पाउँगा.....ये सब सोचते हुए मैं कपड़े पहनते चला गया. घर से बहर निकला तो तेज़ बारिश ने एकबारी जाने से रोकने की नाकाम कोशिश की.... माँ ने एक बार रोका भी......लेकिन मैं निकल चुका था.
मेरे पत्रकार मित्र अशोक बाजपेई जो उम्र में लगभग 25 साल बड़े थे. बस स्टैंड पर इंतजार कर रहे थे. हम दोनों ने आखों ही आँखों में ही तुंरत चलने का इशारा किया और एक जीप में सवार हो गए.पानी तेज़ होने से गावं के संपर्क मार्ग टूट चुके थे. पता चला की जिस गावं में ये दुर्घटना हुई है उस गावं का नाम भैंसरोली है. इस गावं तक पहुचने में कई बाधाओं को पार करना पड़ा. तेज़ बारिश में कोई घर से नही निकल रहा था. पौने 3 बजे हम लोग उस गाँव में दाखिल हुए. घरों के दरवाजों पर अजीब सा सन्नाटा था. सन्नाटे को चीरने के लिए बस बारिश का शोर था. जीप को 2 किलोमीटर दूर छोड़कर हम पैदल ही घटनास्थल की ओर चल पड़े. एक आम और कटहल के बाग़ से होकर हम उस खेत में पहुंचे जहाँ ये विमान दुर्घटनाग्रस्त पड़ा था. देख कर मेरे होश उड़ गए. तेज़ बारिश का पानी भी विमान की आग को बुझा नही पा रहा था. अभी तक मुझे नही पता था की इस में कौन सवार है. आलू के खेत में ओंधे पड़े इस विमान को देखकर मुझे ये एहसास हो गया था कि इसमें कोई नही बचा होगा..
दुर्घटनाग्रस्त विमान. (फाइल फोटो) |
तब तक पुलिस एक अफसर दौड कर मेरे पास आए. उनका वायरलेस सेट माधव राव सिंधिया के बारे में संदेश दे रहा था. इतना सुन कर मैं मामला समझ गया किए ये हादसा मामूली नही है. पुलिस अफसर लाशों में अ़ब माधव राव सिंधिया को खोजने लगे. तभी मुझे पायलट की सीट के ठीक पीछे एक लाश सीट मे धंसी नजर आई.उसे निकल कर देखा.लाश के गले में माँ दुर्गा का सोने का एक लोकेट पड़ा हुआ था. मैंने तुरंत पुलिस अफसर को बताया कि ये ही माधव राव सिंधिया की लाश है.लाश की हालत देख कर मेरी आँख भर आई. एक राजा की इस तरह मौत.....मैं समझ नही पा रहा था. इस हादसे में सिंधिया सहित 8 अन्य लोग भी मारे गए थे.
दुर्घटना की एक खासियत ये थी की विमान सेसना एयरकिंग 90 बिना ब्लैक बॉक्स का था.विमान का मलबा देख कर कहा जा सकता था कि ये एक जर्जर विमान है. ग्रामीणों के मुताबिक विमान में आग आसमान में ही लग चुकी थी.
कैसे.... पायलट ने इमरजेंसी लेंडिंग की कोशिश की लेकिन विमान में कोई धमाका हुआ जिससे किसी को बचने का मौका नही मिला. बहारहाल ये सब जाँच के विषय होने चाहिए थे. दुर्घटना के बाद जाँच के लिए एक टीम गठित की गई लेकिन इस टीम ने जाँच में क्या पाया ये किसी को मालूम नही हो सका.ये दुर्घटना कैसी हुई ये अभी भी राज़ है. बताते हैं की इस विमान में ब्लैक बॉक्स नही था. अगर ऐसा है तो आख़िर इतने जिम्मेदार नेता को उस जहाज़ में जाने की इजाज़त किसने दी ?ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनका जबाव जानना बेहद जरुरी है.
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