Friday, October 8, 2010

कॉमनवेल्थ गेम्स का नया थीम सॉन्ग ( एआर रहमान से बढ़िया ! )

मुकेश कुमार झा 
(रचनाकार भारतीय जनसंचार संस्थान के पूर्व छात्र और ‘प्रोपर्टी एक्सपर्ट’ मैगजीन में सीनियर सब एडिटर हैं.)  
इस थीम सॉन्ग की एआर रहमान के गीत से तुलना कीजिये... अगर कुछ अच्छा लगे तो बताइए....

दिल्ली बोले
(अतिथि देवो भव:
अतिथि देवो भव: )
या वेलकम-वेलकम कॉमनवेल्थ गेम्स वेलकम
दिल से दिल्ली बोलती है
खेलों के रंग फिज़ां में घोलती है
जोश है तूफां सा
मंज़र है इन्तिहां का
करती है दिल्ली फरमाइश
बाजू करें ज़ोर-अज़माइश
लगा दो अपना पूरा दम 
बोलो हम नहीं किसी से कम
दिल्ली बोले
वेलकम-वेलकम कॉमनवेल्थ गेम्स वेलकम
हिम्मत, जोश-
ए-जुनून का है यह पल
आगे बढ़कर थामना है तुझे कल
खेल के मैदान से
या अपनी शान से
शेरा का है अरमान
जीत में लगा दो जान
दिल से दिल्ली बोलती है
रंग फिज़ां में घोलती है
वेलकम-वेलकम कॉमनवेल्थ गेम्स वेलकम
दुनिया है रंग बिरंगी
खेल हैं सतरंगी
पर जीत की एक ही बोली
वसुधैव कुटुम्बकम्
वसुधैव कुटुम्बकम् 
कोई उत्तर से आया है
कोई पूरब से छाया है
पश्चिम वाला जीत मन में लाया है
दक्षिण वाला दिल में समाया है
दिल्ली की ज़मीं पर
सबने रंग जमाया है।
दिल्ली दिल से बोलती है
रंग फिज़ां में घोलती है
दिल्ली बोले
वेलकम-वेलकम कॉमनवेल्थ गेम्स वेलकम
फलक से लेकर ज़मीं तक
जीत का झंडा फहरायें
दिल्ली का मन ये गाये  
वेलकम-वेलकम दिल्ली बोले वेलकम
यमुना के तीर से प्यारी दिल्ली बोले
कृष्ण-कन्हैया की यह पावन धरती
वेलकम-वेलकम पर ता-ता थैया बोले 
दिल्ली बोले
वेलकम-वेलकम
दामन में भरो उम्मीद और जोश
खुशी से हो जाओ मदहोश
मुश्किल पल को कर लो आसान
है अगर हिम्मत तो दिखा दो
अपनी मुठ्ठी में ताकत,
जोश-ए-जुनून से सरज़मीं को हिला दो
दिल्ली के दिल पर छा जाओ
मन में मधुर धुन बजाओ
वेलकम-वेलकम दिल्ली बोले वेलकम
मंजि़ल तक नहीं है रूकना
कठिन पथ के आगे नहीं है झुकना
हर बाधा को पार लगाओ
हर बाज़ी जीत जाओ
दिल्ली बोले
वेलकम-वेलकम
मुकाबला होगा रोमांच पर
खेल के मैदान पर 
जोश होगा उफान पर
नस-नस में कौंधेगी बिजलियां
हर चुनौती होगी मैदान पर
जीत का सेहरा उसके सिर बंधेगा
जिसके मन में जोश रहेगा
दिल्ली बोले
वेलकम-वेलकम कॉमनवेल्थ गेम्स वेलकम
दिल से दिल्ली बोलती है...









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