मंजीत ठाकुर |
झारखंड में राजनीति का एक नया ग्रामर विकसित हुआ है। झारखंड बने 10 साल होने को हैं। इन दस सालों में झारखंड के लोगों को क्या मिला? वहां की विधायिका और राजनीति की क्या सौगात है वहां के लोगों को ? जवाब है, पूरी व्यवस्था को अविश्वसनीय बना देना।
झारखंड के शासक वर्ग ने दिखा दिया कि वे पूरे सूबे को भी बेच सकते हैं। हालांकि राजनीति के जिस ग्रामर की बात हो रही है, वह देश भर में कभी-कभार दिखाई देती थी लेकिन झारखंड में यह ग्रामर स्थापित हो गयी है। भ्रष्टाचार के प्रैक्टिशनर। आचार-व्यवहार में जो प्रामाणिक तौर पर सबसे भ्रष्ट हैं, वे ही भ्रष्टाचार की बुराई कर रहे हैं। यानी चोर और साधु की भूमिका एक हो गई है। नायक, खलनायक लग नहीं रहे। पर यह झारखंड का ग्रामर है। कहावत है - सेन्ह पर बिरहा। यानी सेंध की जगह से ऊंचे आवाज में गीत गाया जाए।
सवाल यही है क्या झारखंड विकास की नई पगडंडी पकड़ सकता है? जवाब है - हां, लेकिन तब, जब हम मान लें कि मौजूदा राजनीतिक पार्टियों में कोई झारखंड का पुनर्निर्माण नहीं कर सकती। लोकपहल, छात्रशक्ति का उदय, झारखंड के सार्वजनिक जीवन की संपूर्ण सफाई के लिए नागरिक समाज का बनना-विकसित होना और कुराज के खिलाफ आक्रोश, यही रास्ते बचे हैं झारखंड गढ़ने के लिए। वर्षों के झारखंड की देन है ये।
स्थापित और प्रामाणिक तथ्य है कि ईमानदार नौकरशाही बड़ा काम कर सकती है। आमतौर पर नौकरशाही तदर्थवाद और यथास्थितिवाद के लिए आदर्श माहौल पैदा करती है., लेकिन कुछ कर गुजरने वाले तो उस झुंड में भी होंगे ही, बल्कि हैं भी। उनके पक्ष में माहौल बनाना बड़ी चुनौती है।
नया गढ़ने के लिए इँस्टिट्यूशंस की बुनियाद ज़रूरी है। किसी भी समाज की चाल. चरित्र और चेहरा इँस्टिट्यूशंस ही बदल सकते हैं। इँस्टिट्यूशंस शिक्षा में, प्रशासन में राजनीति में यानी उन सभी क्षेत्रों में, जहां मानव संसाधन को गढ़ा और बनाया जाता है। जाति, धर्म, समुदाय और क्षेत्र से परे उदार राजनीति को प्रश्रय देना ज़रूरी है।
आज हर दल में, शासन में, मीडिया में अच्छे लोग हैं पर वे पीछे हैं। ऐसे लोग की एकजुटता और सक्रियता क़ानून का राज स्थापित करने में मददगार होगी। यही हीरावल दस्ता समाज और राजनीति को अनुकरणीय और नैतिक बनाने की बुनियाद रख सकता है।
झारखंड बिहार से अलग होने के बाद और भी गर्त में जा चुका है...आज भारत का सबसे बड़ा खनिज संसाधन प्रदेश का हाल जो बद से बदतर हुई है उसमें किसका योगदान है... हम सभी बखूबी जान रहे हैं.. अब तो यहां की प्रजा भी शायद तंग ही हो चुकी है... झारखंड की जनता उखाड़ फेंको भ्रष्ट राजनीतिज्ञों को...
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