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धीरज वशिष्ठ |
दिल्ली से सटे नोएडा में फिल्म सिटी। हिंदी-अंग्रेजी के तमाम न्यूज़ चैनलों के दफ्तर। दफ्तर के बाहर महंगी-महंगी कारें और भीतर चमचमाती रोशनी में नहाता न्यूज़ रूम। न्यूज़ रूम में एकबारगी नजर दौड़ाएं तो सबकुछ ठीक नज़र आता है। हर कोई अपने काम में मशगूल, अपनी स्टोरी में व्यस्त। आखिर हो भी क्यों नहीं? राष्ट्रीय चैनल के मेन दफ्तर में काम, मोटी तनख्वाह और नेम-फेम कोई साधारण बात तो नहीं होती।
चैनल की तरह राष्ट्रीय अख़बारों के दफ्तरों का भी कमोबेश यहीं हाल है। चाहे चैनल हो या अखबार या वेबन्यूज़ की दुनिया। एक बात जो सभी में समान है वो है, गलाकाट प्रतिस्पर्धा। पहले खबरों को पेश करने की चुनौती। तेज़....तेज़...और भी तेज़..। लेकिन रफ्तार पर सवार खबरों की इस दुनिया ने एक नई परेशानी खड़ी कर दी है, जिससे हर दिन मीडियाकर्मी दो-चार हो रहें हैं। जी हां.. तनाव।
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गुस्सैल बना रहा तनाव |
ग्लैमर, नेफ-फेम की चकाचौंध दुनिया ने मीडियाकर्मियों को तनाव का बोनस भी दिया है। स्टोरी का जुगाड़ करना, सबसे पहले खबरों को ब्रेक करने की छटपटाहट और इन सबसे बढ़कर टीआरपी का साप्ताहिक राक्षस। ये वो तमाम चीज़ें है जिसने मीडियाकर्मियों की जिंदगी को तनावयुक्त कर दिया है। हम चाहें या ना चाहें तनाव जिंदगी का हिस्सा बन गया है। ऐसे में सवाल है कि गला-काट प्रतिस्पर्धा के बीच, सबसे पहले और सबसे तेज की भागदौड़ के बीच, हम मीडियाकर्मी या हर वो कोई जिसके ऑफिस में भागमभाग है, अपने को तनाव से कैसे दूर रखें ?
इस यक्ष प्रश्न का जवाब भी सदियों पुरानी योग पद्धति में छुपा है। फ़िल्मी दुनिया के बाद अब न्यूज़ की दुनिया से सरोकार रखने वाले लोग भी तेजी से योग की शरण में आ रहे हैं। आखिर सवाल तनाव से बचने का है, भागदौड़ के बीच अपने को फिट रखने का है। 24*7 कॉन्सेप्ट के बीच अपने को तरोताज़ा रखने का है।
योग पद्धति अपनाकर आप खुद को ऑफिस के किसी भी वातावरण में ढाल सकेंगे। इसके लिए यहां ना तो मैं आपको कोई भारी-भरकम आसन बताने जा रहा हूं, न ही बाबा रामदेव की तरह नौली ( पेट की मांसपेशियों को घुमाने की प्रक्रिया) करने की सलाह दे रहा हूं। बस कुछ आसान यौगिक टेक्निक, ऐसी टेक्निक जिसे आप ऑफिस में बैठे-बैठे भी कर सकते हैं। इसे अपनाएं और टेंशन को कहें अलविदा।
नुस्खा नंबर - 1
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ऑफिस में रखिये ऑफिस का टेंशन |
क्या करें -
कुर्सी पर कमर को सीधी करके बैठ जाएं। दोनों पांव को कम्फरटेबल तरीके से रखें। कंधे को रिलेक्स और चेहरे की मांसपेशियां ढीली करें। अब आंखों को बंद करें और ध्यान सांसों पर लगाएं।
कब करें -
जब भी आपको तनाव या थकावट महसूस हो।
लाभ -
सांसों पर ध्यान केंद्रित करते ही आप खुद को हल्का महसूस करेंगे।
नुस्खा नंबर - 2
क्या करें -
पहले की तरह स्थिति में आएं, आखों को बंद करें। अब मन में चल रहें विचारों को ऑब्जर्ब करें। विचार किसी भी प्रकार के हो सकते हैं, अच्छे या बुरे। आप सिर्फ ऑब्जर्ब करें, रिएक्ट नहीं।
कब करें -
जब किसी बात को लेकर उलझन बढ़ी हो। ऑफिस में साथियों से तू-तू-मैं-मैं हो जाए या फिर बॉस ने जमकर डांट पिलाई हो।
लाभ -
आप जिन बातों को लेकर परेशान और गुस्से में थे, वो बातें मन से दूर होने लगेंगी और आप खुद को रिलैक्स्ड पाएंगे।
नुस्खा नंबर - 3
क्या करें -
पहले वाली स्थिति में आएं। अब लंबी-गहरी सांस लेते हुए पेट फुलाएं और फिर सांस छोड़ते हुए पेट को अंदर की ओर जाने दें। सांसों के साथ पेट के अंदर-बाहर होने की क्रिया पर तालमेल बनाएं रखें।
कब करें -
थकावट बढ़ी हुई हो, सिर भारी लग रहा हो।
लाभ -
प्राणिक फ्लो सही होने से आप स्वयं को ज्यादा ऊर्जावान पाएंगें।
नुस्खा नंबर - 4
क्या करें -
कुर्सी पर कमर को सीधी करके बैठें। अब हाथों की ऊंगलियों को एक-दूसरे से फंसाएं। सांस लेते हुए हाथों के साथ पूरे शरीर को ऊपर की ओर खींचें। कुछ देर रुकें, सांस छोड़ते हुए वापस आएं। तीन बार इस प्रक्रिया को दोहराएं।
कब करें -
ऑफिस में लंच या डिनर लेने से पहले।
लाभ -
मांसपेशियों का टेंशन अलविदा कहेगा और आप तनाव मुक्त होंगे।
नुस्खा नंबर - 5
क्या करें -
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हलके योग से हो जायेंगे ' कूल ' |
कमर सीधी करें। अब लंबी-गहरी सांस लें। सांस छोड़ते हुए शरीर को अपनी दाहिने ओर ट्विस्ट करें। कुर्सी को पीछे पकड़कर आप शरीर को बेहतर ट्विस्ट कर सकते हैं। ट्विस्टिंग की ये क्रिया बांई ओर भी दोहराएं।
कब करें -
ऑफिस में लंच या डिनर लेने से पहले। खाने के बाद ये क्रिया बिल्कुल ना करें।
लाभ -
पाचन क्रिया एक्टिव रहेगी और गैस-जलन जैसी तकलीफों से निजात।
इसके अलावा आप अपनी गर्दन, कलाइयों, कंधों आदि भागों को दिन में कम से कम एकबार थोड़ी-बहुत सावधानी से मूवमेंट ज़रूर दें। इन तमाम प्रक्रियाओं को अपनाकर आप शारीरिक और मानसिक तनाव से दूर रह सकते हैं। आपकी प्रोडक्टिविटी बढ़ने का लाभ आप के साथ आपकी कंपनी को भी मिलेगा। तो फिर सोचते क्या हैं..अरे भाई कुछ नहीं तो सिर्फ आंखों को बंद कर अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करके तो देखें।