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Sunday, December 5, 2010

कांग्रेस का तो टाइम ही खराब है

मनोज मुकुल 
(लेखक आईआईएमसी] नई दिल्ली के पूर्व छात्र और स्टार न्यूज़ में एसोसिएट सीनियर प्रोडयूसर हैं)
राहुल गांधी ने कहा है कि बिहार के चुनाव नतीजों से वो हताश नहीं हैं। हालांकि ये भी नहीं कहा कि वो खुश हैं। वैसे कहने लायक बिहार ने छोड़ा ही कहां हैं । खैर, बिहार चुनाव के नतीजे कांग्रेस के लिए प्रत्याशित तो कतई ही नहीं थे। जिस तामझाम के साथ फिर से खुद के दम पर खड़े होने की तैयारी हुई थी उसमें पलीता लग गया। टिकट का बंटवारा कहिए या फिर बड़े नेताओं का घालमेल, उम्मीदों पर नहीं उतरे खरे। वैसे कांग्रेस के लिए समय ही शुभ नहीं चल रहा है। अक्टूबर-नवंबर और दिसंबर का जो महीना है वो कांग्रेस के लिए ठीक नहीं है। आदर्श सोसायटी घोटाला, स्पेक्ट्रम घोटाला, बिहार में बर्बादी, जगन मोहन का विद्रोह, सुप्रीम कोर्ट से रोज डांट-फटकार । भाई इतने मुश्किल दौर से मनमोहन सिंह का तो पहला कार्यकाल भी नहीं गुजरा था। यूपीए पार्ट 1 में तो परमाणु करार पर लेफ्ट ने हाथ खींचा तो हाथ बढ़ाने कई लोग आगे आ गए। लेकिन इस बार सरकार के मुखिया मनमोहन सिंह बड़े बुरे दौर से गुजर रहे हैं। जिसको देखिए वही उनके खिलाफ बोल कर कट ले रहा है। सुप्रीम कोर्ट हो या फिर सुब्रमण्यम स्वामी, परसों ये भी सुनने में मिला कि ए राजा की तरफ से भी पीएम की चिट्ठी को लेकर अनाप-शनाप कहा गया था। वैसे कहने वाले सब कहते भी हैं कि पीएम साहब की ईमानदारी पर कोई शक नहीं है। लेकिन खाली कहने भर से क्या होता है।

कांग्रेस का हाथ, किसके साथ?
अक्टूबर आखिरी में आदर्श सोसायटी फ्लैट घोटाला वाला मामला सामने आया। अब समय खराब ही कहिये कि जिस अशोक चव्हाण को मुंबई हमले जैसे विकट हालात में सीएम बनाया, वो इतने पुराने मामले में नप गए। जमी जमाई दुकानदारी उखड़ गई। अशोक चव्हाण के बारे में एक और मजेदार बात पढ़ते हुए बढ़िए। अशोक चव्हाण का नाम अक्टूबर से पहले तक अशोक चव्हाण ही हुआ करते थे लेकिन अक्टूबर शुरू में ही उन्होंने अपने नाम को वजन देने के लिए ‘राव’ जुड़वाँ लिया और हो गए अशोक राव चव्हाण। अंक ज्योतिषियों ने साफ कहा कि ये शुभ नहीं है, भारी विपत्ति आने वाली है, 20 दिन भी नहीं बीते कि कहां से फ्लैट का भूत निकला और ले गया। 


जगन : अपनी धुन में मगन 
अब कांग्रेस के लिए एक टेंशन हो तब तो, जगन मोहन रेड्डी, आंध्र प्रदेश के कडप्पा से कांग्रेस सांसद हुआ करते थे। पूर्व मुख्यमंत्री और आंध्र प्रदेश के कांग्रेस छत्रप रहे वाईएसआर के बेटे हैं। इनका बड़ा लंबा चौड़ा कारोबार है। टीवी चैनल से लेकर अखबार तक। अभी 15 दिन पहले इनके चैनल पर सोनिया गांधी, राहुल और मनमोहन सिंह के खिलाफ स्टोरी चल गई। खूब किरकिरी हुई। अब जगन संकट से निपटने के लिए कांग्रेस को वहां के रोसैया को सीएम की कुर्सी से हटाना पड़ा, किरण कुमार सीएम बने। किसी राज्य में नेतृत्व बदलना किसी भी राजनीतिक दल के लिए आसान काम नहीं होता। लेकिन मजबूरी में करना पड़ा। इससे क्या हुआ सो जानिए।  जगन मोहन पर दबाव बना और उन्होंने इस्तीफा दे दिया। पांच पन्नों की चिट्ठी लिख सोनिया को बहुत बुरा भला कहा। हालांकि उनके चाचा उनके साथ नहीं गए लेकिन किरण कुमार मंत्रिमंडल में जो मंत्री बने हैं ज्यादा उसमें नाखुश ही हैं। मतलब कि यहां भी कांग्रेस के लिए समय ठीक नहीं चल रहा है। अब उन्हीं की पार्टी का सांसद रहा शख्स पार्टी तोड़ चुका है। सोनिया की अध्यक्षता में पार्टी टूटने की पहली बड़ी घटना है। अभी भले ही चुनाव नहीं है लेकिन अगला चुनाव आसान नहीं होगा। जगनमोहन के पिता वाईएसआर की हेलिकॉप्टर हादसे में मौत हुई और इसके बाद जब सत्ता संभालने की बारी आई तो जगन की महत्वकांक्षाओं को नजरअंदाज करते हुए रोसैया को गद्दी दी गई। उस वक्त जगन ने तो साथ दिया। लेकिन बाद में जगन ने अपनी पिता की मौत के बाद जिन समर्थकों ने खुदकुशी की थी उनके घरों का दौरा शुरू किया। कांग्रेस को ये मंजूर नहीं था जानते हैं क्यों? क्योंकि कांग्रेस के लोग नहीं चाहते कि पार्टी में कोई दूसरे परिवार का नेता क्षत्रप बनकर उभरे। वाईएसाआर अपवाद थे, जिन्हें खुली छूट देना मजबूरी थी कांग्रेस की। 


थॉमस तुम कब जाओगे?
बिहार और दो मुख्यमंत्रियों को नाप कर आगे बढ़ते हैं। स्पेक्ट्रम घोटाले का भूत कब तक पीछा करेगा भगवान जाने। पंद्रह दिन तो हो चुके हैं कहीं महीना न हो जाए संसद को ठप हुए। जेपीसी जांच के दबाव के आगे सरकार की गणित काम नहीं कर रही। ऊपर से सुप्रीम कोर्ट से रोज फटकार मिल रही है। सीवीसी को लेकर मामला भी सरकार के खिलाफ जा चुका है। सीवीसी पीजे थॉमस का इस्तीफा कभी भी हो सकता है ऐसा बताया जा रहा है। पहले ही जब थॉमस की बहाली हो रही थी तो नेता विपक्ष ने सुषमा स्वराज ने विरोध किया था। लेकिन दो-एक के बहुमत से मनमोहन सिंह ने बना दिया। अब सुप्रीम कोर्ट में सरकार से लेकर सीवीसी तक सफाई देते फिर रहे हैं। 


कलमाड़ी यानी सबसे बड़ा खिलाड़ी
खेल और भी है। सुरेश कलमाडी को क्यों भूल गए। कॉमनवेल्थ वाले मामले में सीबीआई कलमाडी के मातहत काम करने वाले अफसरों को जेल में डाल चुकी है। किसी दिन कलमाडी साहब से भी पूछताछ होगी। कलमाडी भी पुणे से कांग्रेस के ही सांसद हैं, और बड़े पुराने नेता भी हैं। उधर हिमाचल वाले नेताजी,  केंद्र में इस्पात मंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ भी तो भ्रष्टाचार वाले मामले में शायद चार्जशीट दायर हो ही चुकी है। और हां ये भी जान लीजिए कि रोज जो है कोई न कोई बड़े अफसरों के चरित्र का खुलासा भी इसी में हो रहा है। सो बड़ा मुश्किल भरा टाइम चल रहा है कांग्रेस का। इतना टफ टाइम पार्टी के लिए कभी नहीं रहा होगा, नयी जेनरेशन में। इंदिरा जी वाले टाइम का अंदाजा नहीं है इसलिए कह रहा हूं ।

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