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Sunday, January 2, 2011

प्यार के नाम पर पहरेदारी!

धीरज वशिष्ठ
(लेखक आईआईएमसी, नई दिल्ली के पूर्व छात्र, योग इंस्ट्रक्टर और स्वतंत्र पत्रकार हैं)
क्या आपको किसी से प्यार हुआ है ?  आप किसी के प्यार में कभी गिरफ्तार हुए हैं ?  कुछ ऐसे ही मिलते-जुलते दो-चार सवाल हैं जिससे हम सभी की मुठभेड़ होती है। हर कहीं प्यार के अंकुर पनपते, उसकी कलियां खिलती तो कहीं प्यार के फूल की खुशबू बिखरती नज़र आती है। खासतौर पर मेट्रो कल्चर में ऐसा शायद ही कोई लड़का-लड़की मिले जो कभी प्यार की बगिया में ना मिलें हों। लैला-मजनू और हीर-रांझा आज होते तो प्यार के इन गुलदस्तों को देखकर बाग-बाग हो जाते। हां..वो इस प्यार की गहराई में जाने की कोशिश करते तो उन्हें गुलदस्ते के नकली फूलों से दो-चार होना पड़ता।


ढाई अक्षर-प्रेम के इस नाम पर आज सबकुछ हो रहा है, सिर्फ प्यार नहीं। कई लोग मुझसे इत्तफाक ना रखें, लेकिन फ़ैसले लेने में जल्दबाज़ी भी क्या.. थोड़ा देखें तो सही कि प्यार की गली में क्या-क्या गुल खिलते हैं। मेरे देखे प्यार की शुरुआत फिजिकल एटरेक्शन से होती है और पहरेदारी पर जाकर अटक जाती है। शारीरिक आकर्षण नेचुरल है, इसको लेकर कोई एतराज़ नहीं। परेशानी दरअसल प्यार के नाम पर पहरेदारी को लेकर है।


एक सज्जन की बात यहां शेयर करना चाहूंगा। साहब काफी आशिक मिजाज़ हैं। चाहे ऑफिस में हो या घर की बालकनी में नज़रें तो हमेशा रूप-यौवना को ही तलाशती रहती हैं। थोड़ा से मौका मिल जाए तो लड़की के सामने इस तरह से लार-टपकाते नज़र आएंगे कि बेचारे कुत्तों को भी शर्म आ जाए। साहब की एक खूबसूरत बीवी भी हैं। जनाब का खूब ख़्याल रखती हैं। बावजूद पति-पत्नी के बीच महाभारत अक्सर छिड़ी रहती है। दरअसल, साहब को अपनी बीवी का किसी ग़ैर से बात करना सख्त नापसंद है। पड़ोस के वर्मा जी से बीवी ने मीठी ज़ुबान में थोड़ा हाल-चाल क्या पूछ लिया, घर में हायतौबा मच जाती है, महाभारत शुरू हो जाती    है। उस दिन बीवी का फोन थोड़ा बिजी मिला तो अगले कॉल में सवालों की झड़ी लग गई.. किससे बात हो रही थीइतनी देर तक बातचीत करने की क्या ज़रुरत थी ? ... वगैरह....वगैरह।


एक-दूसरे को ठीक से समझते ही नहीं प्रेमी-जोड़े 
क्या आप इसे मियां-बीवी के बीच प्यार कहेंगे। दरअसल प्यार के नाम पर ये पहरेदारी है। प्यार के नाम पे ये मल्कियत जताने की कोशिश है। हम किसी से प्यार करते हैं तो उसे अपनी संपत्ति समझने लगते हैं। इस मल्कियत की वजह से व्यक्तिगत आज़ादी का दम घुट जाता है। एक प्रेमी जोड़े को मैं जानता हूं जिनके बीच अच्छी बनती है, लेकिन लड़की की जैसे ही अपने एक क्लासमेट से ज़्यादा बातचीत शुरू हुई कि प्रेमी का सारा प्यार काफ़ूर हो गया। साफ चेतावनी दे दी गई कि चुन लो.. प्यार चाहिए या दोस्त ? अब उन्हें कौन समझाए कि दोस्ती की बुनियाद भी प्यार ही है। ऐसे कई जोड़े हैं जो बजायफ्ता अपनी गर्लफ्रैंड के मेल का पासवर्ड रखते हैं, मेल चेक करते हैं, फोन मैसेज से लेकर कॉल डिटेल तक को खंगाला जाता है। अब इसे आप क्या कहेंगे प्यार या पहरा ?


बेजुबान भी करते एक-दूसरे पर भरोसा 
एक प्रेमिका ने अपनी प्रेमी से पूछा कि क्या तुम शादी के बाद भी मुझे इतना ही प्यार करते रहोगे ? प्रेमी ने कहा, बिल्कुल अगर तुम्हारे पति को कोई एतराज़ न हो ! आज का प्यार कमोबेश ऐसा ही रह गया है। कहीं प्यार के नाम पर मल्कियत, तो कहीं प्यार के नाम पर पहरेदारी, तो कहीं प्यार के नाम पर टाइम पास। आज चारों तरफ प्यार करते हुए लोग आपको मिल जाएंगे, लेकिन प्यार कहीं अंधेरी कोठी में आठ-आठ आंसू रो रहा है।



प्यार की बगिया में ज़रूरी है भरोसे का फूल खिलना। प्रेमी जोड़ा करीब रहते हुए एक-दूसरी की आज़ादी और भावनाओं का ख़्याल रखे। प्यार के नाम पर हमें पहरेदारी बंद करनी होगी। खासतौर पर पुरुष मानसिकता को बदलने की ज़रूरत है, जहां लड़की की अपनी ख़ुद की कोई मर्ज़ी नहीं, ख़ुद की कोई दुनिया नहीं, आज़ादी नहीं। हर चीज़ पर उसका प्यार ही पहरा बना बैठा है। इस पहरेदारी के बीच प्यार कहीं कराह रहा है, तड़प रहा है, आख़िरी सांसें ले रहा है।

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