धीरज वशिष्ठ |
क्या आपको किसी से प्यार हुआ है ? आप किसी के प्यार में कभी गिरफ्तार हुए हैं ? कुछ ऐसे ही मिलते-जुलते दो-चार सवाल हैं जिससे हम सभी की मुठभेड़ होती है। हर कहीं प्यार के अंकुर पनपते, उसकी कलियां खिलती तो कहीं प्यार के फूल की खुशबू बिखरती नज़र आती है। खासतौर पर मेट्रो कल्चर में ऐसा शायद ही कोई लड़का-लड़की मिले जो कभी प्यार की बगिया में ना मिलें हों। लैला-मजनू और हीर-रांझा आज होते तो प्यार के इन गुलदस्तों को देखकर बाग-बाग हो जाते। हां..वो इस प्यार की गहराई में जाने की कोशिश करते तो उन्हें गुलदस्ते के नकली फूलों से दो-चार होना पड़ता।
ढाई अक्षर-प्रेम के इस नाम पर आज सबकुछ हो रहा है, सिर्फ प्यार नहीं। कई लोग मुझसे इत्तफाक ना रखें, लेकिन फ़ैसले लेने में जल्दबाज़ी भी क्या.. थोड़ा देखें तो सही कि प्यार की गली में क्या-क्या गुल खिलते हैं। मेरे देखे प्यार की शुरुआत फिजिकल एटरेक्शन से होती है और पहरेदारी पर जाकर अटक जाती है। शारीरिक आकर्षण नेचुरल है, इसको लेकर कोई एतराज़ नहीं। परेशानी दरअसल प्यार के नाम पर पहरेदारी को लेकर है।
एक सज्जन की बात यहां शेयर करना चाहूंगा। साहब काफी आशिक मिजाज़ हैं। चाहे ऑफिस में हो या घर की बालकनी में नज़रें तो हमेशा रूप-यौवना को ही तलाशती रहती हैं। थोड़ा से मौका मिल जाए तो लड़की के सामने इस तरह से लार-टपकाते नज़र आएंगे कि बेचारे कुत्तों को भी शर्म आ जाए। साहब की एक खूबसूरत बीवी भी हैं। जनाब का खूब ख़्याल रखती हैं। बावजूद पति-पत्नी के बीच महाभारत अक्सर छिड़ी रहती है। दरअसल, साहब को अपनी बीवी का किसी ग़ैर से बात करना सख्त नापसंद है। पड़ोस के वर्मा जी से बीवी ने मीठी ज़ुबान में थोड़ा हाल-चाल क्या पूछ लिया, घर में हायतौबा मच जाती है, महाभारत शुरू हो जाती है। उस दिन बीवी का फोन थोड़ा बिजी मिला तो अगले कॉल में सवालों की झड़ी लग गई.. किससे बात हो रही थी? इतनी देर तक बातचीत करने की क्या ज़रुरत थी ? ... वगैरह....वगैरह।
एक-दूसरे को ठीक से समझते ही नहीं प्रेमी-जोड़े |
बेजुबान भी करते एक-दूसरे पर भरोसा |
प्यार की बगिया में ज़रूरी है भरोसे का फूल खिलना। प्रेमी जोड़ा करीब रहते हुए एक-दूसरी की आज़ादी और भावनाओं का ख़्याल रखे। प्यार के नाम पर हमें पहरेदारी बंद करनी होगी। खासतौर पर पुरुष मानसिकता को बदलने की ज़रूरत है, जहां लड़की की अपनी ख़ुद की कोई मर्ज़ी नहीं, ख़ुद की कोई दुनिया नहीं, आज़ादी नहीं। हर चीज़ पर उसका प्यार ही पहरा बना बैठा है। इस पहरेदारी के बीच प्यार कहीं कराह रहा है, तड़प रहा है, आख़िरी सांसें ले रहा है।
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truly right.
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