Tuesday, December 7, 2010

मन मत मारो, हमारी सलाह मानो...

मंजीत ठाकुर 
(लेखक आईआईएमसी, नई दिल्ली के पूर्व छात्र और डीडी न्यूज़ में वरिष्ठ संवाददाता हैं)
सुना तो नाम बहुत था मुहब्बत का..लेकिन निकला वही। बहुत शोर सुनते थे पहलू में दिल का, काटा तो कतरा-ए-ख़ूं न निकला की तर्ज पर। आजकल लोग ब्लॉग पर भी प्रेम को लेकर बेहद भावुक हो रहे हैं। 


वैलेंटाइन डे दो महीने ही दूर है। लड़कियां लड़कों की और लड़के, लड़कियों की तलाश में ज़ोर-शोर से भिड़े हुए हैं। 


महर्षि वैलेंटाइन का दिवस मनाना ज़ोर पकड़ रहा है। जिन्हें जोड़ा हासिल नहीं हो पाता. वो  अपनी खीझ निकालते हैं- अपसंस्कृति, अश्लीलता चिल्ला-चिल्लाकर। दरअसल, दोष इस पीढी का नहीं। जनाब दोष तो उस पीढी का भी नहीं। 


उन्हें पता है कि उम्र के एक खास मोड़ तक आदमी इसी ग़लतफहमी में पड़ा रहता है कि उसका भी एक-न-एक दिन कहीं-न-कहीं किसी न किसी से यक-ब-यक प्यार हो जाएगा। लेकिन जैसे-जैसे आस-पड़ोस की लड़कियां धड़ाधड़ अन्य लोगों की बांहों इत्यादि में जाने लगती हैं, तो उसे यह तत्वज्ञान होता है कि प्रेम होता नहीं, वरन् बेहद कोशिशों के बाद किया जाता है। इसके लिए कई दोस्तों को फील्डिंग करनी होती है। और हां , ये प्यार को खींचना जिसे अच्छी भाषा में निभाना कहते हैं, वह भी बेहद कठिन क्रिया होती है क्योंकि इसमें कलदार खर्च होते हैं। बहरहाल, मित्रों के मर्म को न छूते हुए मैं लड़कियों को अपने प्यार में गिरफ्तार करने, या उन्हें प्यार में डालने या लुच्चो की भाषा में पटाने के कुछ ऐसे तरीकों पर प्रकाश अर्थात लाइट डालने की हिमाकत करूंगा,  जिसे कई मनीषियों ने अपने अर्जुन टाइप बेहद निकट शिष्यों को बताया है।


क्या पता आपकी भी बन जाए जोड़ी...
पहला तरीका तो यही है, कि उस लड़की के, जिसे आप पिछले तीन महीनों से प्यार कर रहे हैं और उसे अभी तक इस बात का पता भी नहीं है, उसके घर के चक्कर लगाना शुरु कर दें। प्यार के मामले में लड़कियों वाली गली को महबूब की गली,  प्यार की गली,  यार की गली, तेरी गली जैसे बेहद मुकद्दस नामों से नवाजा जाता है।


बशीर बद्र की एक पंक्ति याद आ रही है-  

हम दिल्ली भी हो आए हैं, लाहौर भी घूमे 

यार मगर तेरी गली,  तेरी गली है।


भले ही उस गली में आड़ी-तिरछी नालियों का जाल बिछा हो, बदबूवाली बयार उस गली में बह रही हो, नालियों में सुअर लोट रहे हों  और एक बार काजल की कोठरी की तरह गली में घुसे तो पैर अति-पवित्र गोबर से सनकर ही वापस, आएंगे। फिर भी यार की गली तो यार की गली ही है। 


हो सकता है कि आपको लड़की दिख जाए, या फिर आप जैसे महान प्रेमी को लड़की के कपड़े सूखते दिख जाएं तो भी आप संतोष ही करेंगे। लेकिन इसमें कठिनाई ये है कि इसमें कई चक्कर लगाने पड़ सकते हैं  और आप काया से बम खटाखट हैं। अगर आप सारी ऊर्जा यार की गली के चक्कर लगाने में ही खर्च कर देंगें तो फिर प्यार हो जाने के बाद होने वाली अंतरंग क्रिया के लिए ऊर्जा कहां से लाएंगे। जबकि शिलाजीत इत्यादि बेचने वाले महान विद्वानों का कहना है कि इस काम में घोड़े के बराबर ऊर्जा की दरकार होती है। 



प्रेम वैलेंटाइन दिवस का मोहताज नहीं होता। हमारे यहां यह क्रिया-कलाप बहुत दिनों से संपन्न किया जाता रहा है। अब जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं कि आप पड़ोस की बिल्लो रानी पर अरसे से आसक्त हैं और यह बात उन्हें पता भी नहीं है। तो कुछ ऐसा कीजिए कि बिल्लो आप पर रीझ जाएं,-

गलती होने पर पिटाई की भी गुंजाइश 
ऐसा कीजिए कि गले में लाल या ऐसे ही किसी रंग का - जो आंखों में बरछी की तरह चुभ सके- रुमाल गले में बांध लें। फिर उपर से आंखो पर काले रंग का चश्मा। वल्लाह, क्या कहने..। लोगबाग कहते ही होंगे कि काले चश्मे में आप अक्षय कुमार की तरह बंबास्टिक दिखते हैं। तो इसी ड्रैसअप के साथ आप फैशन परेड मे शामिल होइए.. और प्रेम गली के दो-चार चक्कर मार आइए। 


दूसरा तरीका ये है कि लड़की को एकटक देखते रहिए। कभी-न-कभी वह भी आपकी ओर देखेगी। जैसे आंखें मिले आप अपनी दाईं या बाईं ओर की आंख दबा दें। इसे आंख मारना कहते हैं। आपके आंख दबाते ही लड़की आपका पापी मंतव्य समझ जाएगी। हां, इस विधि में खतरा ये है कि लड़की तक अगर आपका मंतव्य पहुंच नहीं पाया,  यानी कुछ कम्युनिकेशन गैप हो जाए, तो लड़की आपको काना या भैंगा समझ सकती है। और हां, काला चश्मा पहन कर भी ये क्रिया संपन्न नहीं की जा सकती।


एक अन्य तरीका यह है कि लड़की जब भी घर से निकले,  यानी घर से कॉलेज तक या स्कूल तक, या फिर ट्यूशन को ही निकले तो आप भी उसके पीछे लग लो। फायदा यह कि या तो आप घर से कॉलेज के बीच कहीं पिट-पिटा जाएंगे,  जो कि प्यार की कठिन राह में बड़ी मामूली बात है, या फिर दो-चार दिनों में लड़की यह जान जाएगी कि यह जो रोज़ मेरे पीछे कुत्ते की तरह आता है,  मुझसे प्यार करता है। इस तरह या तो आप का गठबंधन यूपीए की तरह चल निकलेगा  और आप अभूतपूर्व प्रेमी का खिताब पा जाएगे  या फिर भूतपूर्व। 

वैसे ये सब न चलें, तो कुछ दूसरे तरीके भी है, जिनकी चर्चा फिर कभी करूंगा। कुछ डायरेक्ट ऐक्शन तरीके हैं, कुछ अंगूठियों का कमाल।

जारी...  .


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3 comments:

  1. गुरु कमाल के लिखते हो। गुदगुदी आ गई सच में।

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  2. excellent...superb...gazab ka likhe ho.

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  3. This tips useful for boys.

    Also write how to impress boys.

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