Thursday, December 30, 2010

क्यूँ बार-बार होता है प्यार!!!

विवेक आनंद 
(लेखक आईआईएमसी, नई दिल्ली के पूर्व छात्र हैं)
उस वक्त शायद मैं चौथी क्लास में रहा होऊंगा हम तीन लोगों का एक ग्रुप था मैं और मेरे साथ दो लड़कियां हम सारे काम एकसाथ ही करते थे... टिफिन खाने और होमवर्क करने से लेकर छोटी-मोटी शैतानियाँ तक सभी में तीनों का बराबर का हिस्सा होता था उस दिन सिग्नेचर को लेकर बात चल रही थी वो पेंसिल से अपने सिग्नेचर बनाकर दिखा रही थीं मेरी बारी भी आई लेकिन पता  नहीं क्यों... मैंने कहा कि मैं तुम्हें कल अपना सिग्नेचर दिखाऊंगा उस दिन मैं घर गया... और बड़े प्यार से एक कार्ड बनाया कलर पेंसिल से पहले पन्ने पर कुछ सुंदर से फूल और भीतर के पन्ने में बड़े-बड़े और सुंदर अक्षरों में लिखा... I LOVE YOUदूसरे दिन फिर सिग्नेचर की बात उठी मैंने दोनों में एक लड़की, जो मुझसे कुछ ज्यादा घुली-मिली थी, उसे वो कार्ड दे दिया कार्ड के भीतरी पन्ने पर लिखे जज़्बात देखते ही वो भड़क गई बोली, तुम यही सब करते हो, रुको मैं प्रिंसिपल मैम से शिकायत करती हूं मेरी तो हवा निकल गई, समझ में नहीं आया कि मैंने ये क्या कर दिया? पूरे दिन सांस अटकी रही खैर उसने शिकायत प्रिसिंपल मैम से न कर मेरी दीदी से की जो कि हमारी सीनियर भी थीं उसके बाद ग्रुप खत्म, बातचीत बंद तकरीबन एक साल बाद उस स्कूल में वो मेरा आखिरी दिन था आखिरी दिन के आखिरी पीरियड में वो मेरे करीब आई हमें पढ़ने के लिए लाइब्रेरी से कुछ किताबें मिली थीं उसने बस इतना पूछा, जरा देखूं तुम्हें कौन सी किताब मिली है


ऐसा क्यूं होता है बार-बार 
लंबा अरसा बीत गया लेकिन ये बात मुझे बिलकुल ठीक से याद है। याद करके अच्छा लगता है, हंसी आती है कि उस छोटी सी उम्र में भी मेरे पास एक नन्हा सा दिल था। हर किसी की जिंदगी में ऐसे अनुभव होंगे। कुछ इसी तरह के प्यारे अहसास वाले लम्हें होंगे फिर हम जिंदगी में आगे निकल जाते हैं। फिर कोई मिलता है और हमें अच्छा लगता है। वो हमें भी पसंद करे तो अच्छी बात है, न करे तो हम परेशान होते हैं। कुछ उल्टे-पुल्टे काम करते हैं। जिंदगी फिर हमें कहीं और ले जाती है और यादों की पोटली में ऐसे अनगिनत लम्हें संजो जाती है। हम पीछे मुड़कर उन पलों को याद करते हैं। जो भी हो...एक अच्छा अहसास ही होता है। अपनी बेवकूफी पर हंसी आती है। अपनी उल्टी-पुल्टी हरकतों को याद कर हम मुस्कुराते हैं। यही तो है वो अहसास। अब इसे प्यार कहें... आकर्षण कहें... या दिमाग का कोई केमिकल लोचा। ये बार-बार होता है और जितनी बार हो... अच्छा है।


जिंदगी जब कभी बोझिल लगने लगती है, जब टेंशन ज्यादा होने लगता है तो  ऐसी यादें ही हमें तरोताजा कर जाती हैं। इसलिए ऐसी यादें जितनी ज्यादा होंगी उतना ही ये यकीन रहेगा कि हमने अपनी जिंदगी को भरपूर जीया है। हमने खूब प्यार किया है। बेकार की बात है जो कहते हैं कि प्यार जिंदगी में सिर्फ एक बार ही होता है। प्यार तो कई बार होता है। यहां तक कि एक के प्यार में होने के बावजूद किसी और से हो सकता है।


दिल तो बच्चा है जी...
लंदन में एक दिलचस्प रिसर्च की गई प्यार पर। नतीजों से ये बात सामने आई कि दिल पर एतबार करना सचमुच मुश्किल है। किसी एक पर दिल आ जाने के बाद भी ये न फिसले, कहना आसान नहीं  है। यहां तक कि एक सच्चे जीवनसाथी के हासिल हो जाने के बाद भी दिल के फिसलने की कम गुंजाइश नहीं रहती। एक प्यार मिलने के बाद भी दिल किसी और किसी के लिए भी धड़क सकता है। और ऐसा हर पांचवे व्यक्ति में एक के साथ हो सकता है। चाहे वो आदमी हों या औरत। उनका ये प्यार दफ्तर में काम करने वाले/वाली से हो सकता है, अपने दोस्तों में किसी एक से हो सकता है और जो लोग अपने जीवनसाथी से पूरी तरह खुश हैं... वो भी ऐसे प्यार में पाए गए हैं। ‘जब वी मेट’ को याद करिये. शाहिद से करीना कहती है...प्यार में कुछ सही-गलत नहीं होता।


सर्वे में 50 फीसदी लोगों ने ये माना कि उनके दिल में अपने जीवनसाथी के अलावा भी किसी और के लिए गहरी भावनाएं हैं और लोग इसे गलत भी नहीं मानते। छह में एक शख्स ने ये माना कि प्यार हासिल हो जाने के बाद भी अगर उनका दिल किसी के लिए धड़कता है तो वो अपने दिल की आवाज को सुनेंगे। शोध में ये भी पता चला कि आमतौर पर किसी दूसरे के लिए इस तरह की फीलिंग्स तीन-साढ़े तीन साल तक टिकती हैं।



रिसर्च लंदन की है इसलिए हो सकता है कि सर्वेक्षण के नतीजे हर जगह के लिए एक से न हों लेकिन इतना तो माना ही जा सकता है कि दिल के मामले थोड़े पेंचीदा होते हैं। भावनाओं को काबू करना सबसे मुश्किल है और भावनाएं किसी के लिए हों तो इसमें गलत क्या है? हम उस अहसास को सिर्फ एक बार क्यों जीएं? प्यार बार-बार हो तो क्या बुरा है


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3 comments:

  1. बात तो दुरुस्त हैं। प्यार में सब कुछ बेवजह होता है और कई-कई बार भी होता है। सुना कि पिछली सदी के महान बुद्धिजीवियों में से एक बर्टेंड रसल से किसी ने यहीं सवाल किया था। उनका जवाब था कि इश्वर ने हम बुद्धिजीवियों को बहुत कम संख्या में पैदा किया है। हमारा कर्तव्य है कि हम ज्यादा से ज्यादा महिलाओं से प्यार कर ज्यादा बुद्धिजीवियों को पैदा करें!वैसे वो बात शायद हास्य में कही गई हो, लेकिन यहां तो आम आदमी भी दो-चार बार प्यार कर लेता है। समाज की बनावट ऐसी है कि पुरुषों को इसकी घोषणा करने की छूट भी मिली हुई है, महिलाएं महज प्यार कर सकती है। अपन का अनुभव बताता है कि प्यार तो एक बार नहीं हो सकता, हां उसकी गहनता पर आप जरुर बात कर सकते हैं!

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  2. बेहतरीन ! बेबाकी से बातें रखी गई हैं.. बहुत बढ़िया। लेकिन सवाल कायम है.. चौथी क्लास में केमिकल लोचे का होना ????

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  3. धीरज उसकी भी कुछ वजहें हैं...अगले पोस्ट में उसका भी जिक्र करूंगा...जिंदगी के यही सब अनुभव मेरे लिए सबसे कीमती हैं...

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